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Mahishasuramardini-16-17

Author
Samskrita Bharati
Published
Mon 14 Mar 2016
Episode Link
https://pb108.wordpress.com/2016/03/14/mahishasuramardini-16-17/


कटितट-पीत-दुकूल-विचित्र-मयूख-तिरस्कृत-चन्द्ररुचे

प्रणत-सुरासुर-मौलिमणिस्फुर-दंशुल-सन्नख-चन्द्ररुचे ।

जित-कनकाचल-मौलिपदोर्जित-निर्भर-कुञ्जर-कुम्भकुचे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १६ ॥


विजित-सहस्रकरैक-सहस्रकरैक-सहस्रकरैकनुते

कृतसुरतारक-सङ्गरतारक-सङ्गरतारक-सूनुसुते ।

सुरथ-समाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १७ ॥

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