अयि शरणागत-वैरि-वधूवर-वीर-वराभय-दायकरेत्रिभुवन-मस्तक-शूल-विरोधि शिरोधि कृतामल-शूलकरे ।दुमिदुमि-तामर-दुन्दुभिनाद-महो-मुखरीकृत-तिग्मकरेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥