अयि शतखण्ड-विखण्डित-रुण्ड-वितुण्डित-शुण्ड-गजाधिपतेरिपु-गज-गण्ड-विदारण-चण्ड-पराक्रम-शुण्ड-मृगाधिपते ।निज-भुज-दण्ड-निपातित-खण्ड-विपातित-मुण्ड-भटाधिपतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥