इस्तेमाल हो चुके परमाणु ईंधन के पूल का उपयोग उन रॉड्स को ठंडा करने के लिए किया जाता है जिन्हें न्यूक्लियर रिएक्टर से निकाल दिया गया है। ये फ्यूल रॉड्स रिएक्टर को पावर देते समय अत्यधिक गर्म, लगभग 2,800 डिग्री सेल्सियस (5,092 डिग्री फारेनहाइट) तक पहुंच जाती हैं। रिएक्टर के अंदर 3 से 6 साल तक उपयोग के बाद ये रॉड्स निष्प्रयोज्य हो जाती हैं लेकिन हानिकारक रेडिएशन उत्पन्न करती रहती हैं, और ऐसा अगले 10,000 सालों तक होता रहेगा। किसी भी कचरे के मैदान में इसे रखने के बजाय पानी में रखना बेहतर विकल्प माना जाता है। तो सवाल है, अगर आप कभी इस पूल में गिर जाएं तो क्या होगा?
क्या हो अगर एक मिनी-डॉक्यूमेंट्री वेब श्रृंखला है जो आपको काल्पनिक दुनिया और संभावनाओं के माध्यम से एक महाकाव्य यात्रा पर ले जाती है। वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित इस साहसिक कार्य में शामिल होकर देखें कि क्या हमारे अस्तित्व के कुछ सबसे मौलिक पहलू अलग होते।
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